भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 583.697 अरब डॉलर पर पहुंचा | चंद्रयान 3.0 | PASSEX अभ्यास | FASTAG | काला नमक चावल | प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के 2 साल पूरे | केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस : 𝙲𝙴𝙽𝚃𝚁𝙰𝙻 𝙴𝚇𝙲𝙸𝚂𝙴 𝙳𝙰𝚈



  भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 583.697 अरब डॉलर पर पहुंचा।


12 फरवरी, 2021 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 249 मिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 583.697 अरब डॉलर पर पहुँच गया है। विश्व में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों की सूची में भारत पांचवें स्थान पर है, इस सूची में चीन पहले स्थान पर है।


💰 विदेशी मुद्रा भंडार :


इसे फोरेक्स रिज़र्व या आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है भुगतान संतुलन में विदेशी मुद्रा भंडारों को आरक्षित परिसंपत्तियाँ’ कहा जाता है तथा ये पूंजी खाते में होते हैं। ये किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इसमें केवल विदेशी रुपये, विदेशी बैंकों की जमाओं, विदेशी ट्रेज़री बिल और अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक सरकारी परिसंपत्तियों को शामिल किया जाना चाहिये परन्तु इसमें विशेष आहरण अधिकारों, सोने के भंडारों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भंडार अवस्थितियों को शामिल किया जाता है। इसे आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय भंडार अथवा अंतर्राष्ट्रीय भंडार की संज्ञा देना अधिक उचित है।


📌 12 फरवरी, 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार :


  • विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए) : $540.951 बिलिय
  • गोल्ड रिजर्व : $ 36.227 बिलिय
  • आईएमएफ के साथ एसडीआर : $ 1.513 बिलिय
  • IMF के साथ रिजर्व की स्थिति : $ 5.006 बिलियन



✅ 2022 में लांच किया जायेगा चंद्रयान-3  🛰


हाल ही में इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी ने इसरो के कई प्रोजेक्ट्स को प्रभावित किया है, इसमें चंद्रयान-3 और गगनयान शामिल हैं। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन वर्ष 2022  में चंद्रयान-3 को लांच करने के लिए कार्य कर रहा है। हालाँकि यह मिशन वर्ष 2020 में लांच किया जाना था, परन्तु कोरोनावायरस के चलते कार्य में काफी देरी हुई है। चंद्रयान-3 में चन्द्रमा की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग की जायेगी।

चंद्रयान-3 में एक लैंडर और एक रोवर होगा, सीमे ऑर्बिटर नही होगा। क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चन्द्रमा की कक्षा में कार्य कर रहा है और यह आने वाले 5-6 वर्ष तक कार्य करता रहेगा।

▪️ मिशन चंद्रयान-2 :


चंद्रयान-2 भारत का चंद्रमा पर दूसरा मिशन है, यह भारत का अब तक का सबसे मुश्किल मिशन था। यह 2008 में लांच किये गए मिशन चंद्रयान का उन्नत संस्करण था। चंद्रयान मिशन ने केवल चन्द्रमा की परिक्रमा की थी, परन्तु चंद्रयान-2 मिशन में चंद्रमा की सतह पर एक रोवर भी उतारा जाना था। इसरो का चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में नाकाम रहा था। सॉफ्ट लैंडिंग के समय इसरो का लैंडर विक्रम से सम्पर्क टूट गया था।

इस मिशन के सभी हिस्से इसरो ने स्वदेश रूप से भारत में ही बनाये हैं, इसमें ऑर्बिटर, लैंडर व रोवर शामिल है। इस मिशन में इसरो पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड रोवर को उतारने की कोशिश की। यह रोवर चंद्रमा की सतह पर भ्रमण करके चन्द्रमा की सतह के घटकों का विश्लेषण करने के लिए निर्मित किया गया था।

चंद्रयान-2 को GSLV Mk III से लांच किया गया। यह इसरो का ऐसा पहला अंतर्ग्रहीय मिशन है, जिसमे इसरो ने किसी अन्य खगोलीय पिंड पर रोवर उतारने का प्रयास किया। इसरो के स्पेसक्राफ्ट (ऑर्बिटर) का वज़न 3,290 किलोग्राम है, यह स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा की परिक्रमा करके डाटा एकत्रित करेगा, इसका उपयोग मुख्य रूप से रिमोट सेंसिंग के लिए किया जा रहा है।

6 पहिये वाला रोवर चंद्रमा की सतह पर भ्रमण करके मिट्टी व चट्टान के नमूने इकठ्ठा करने के लिए बनाया गया था, इससे चन्द्रमा की भू-पर्पटी, खनिज पदार्थ तथा हाइड्रॉक्सिल और जल-बर्फ के चिन्ह के बारे में जानकारी मिलने की सम्भावना थी।



✅ भारत और इंडोनेशिया की नौसेना ने PASSEX अभ्यास में भाग लिया।


भारत और इंडोनेशिया की नौसेनाओं ने 18 फरवरी, 2021 को अरब सागर में PASSEX सैन्य अभ्यास में भाग लिया। इंटर-ऑपेराबिलिटी और समग्र सहयोग को बढ़ाने के लिए इस सैन्य अभ्यास का आयोजन किया गया था।

▪️ मुख्य बिंदु:


  1.  इस अभ्यास में INS तलवार ने भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।
  2.  इंडोनेशियाई नौसेना का प्रतिनिधित्व मल्टीरोल कार्वेट केआरआई बंग टोमो द्वारा किया गया था।

▪️भारत का समुद्री सहयोग :

  1.  इंडोनेशिया के साथ भारत के समुद्री सहयोग ने पिछले कुछ वर्षों में गति पकड़ी है। भारतीय नौसेना ने कोविड -19 महामारी के बावजूद कई समुद्री अभ्यास में भाग लिया।
  2.  इसने रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों के साथ समुद्री अभ्यास किया।
  3.  हाल ही में, नवंबर 2020 में, भारत ने मालाबार अभ्यास की मेजबानी की। इस अभ्यास में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने हिस्सा लिया।
  4.  भारत ने सभी क्वाड सदस्यों के लिए मालाबार अभ्यास बनाने के लिए नवंबर 2020 में मालाबार अभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया को भी आमंत्रित किया था।

▪️ मालाबार अभ्यास :


यह अमेरिका, जापान और भारत के बीच एक त्रिपक्षीय नौसेना अभ्यास है। इस अभ्यास को 1992 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू किया गया था। वर्ष 2015 में जापान को इस अभ्यास में एक स्थायी भागीदार बनाया गया था। इस अभ्यास में सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया जैसे गैर-स्थायी सदस्य शामिल होते हैं। इस अभ्यास में एयरक्राफ्ट कैरियर, लड़ाकू पनडुब्बी रोधी युद्ध, गोताखोरी बचाव कार्य, काउंटर-पायरेसी ऑपरेशन आदि शामिल हैं।

▪️ क्वाड गठबंधन :


इसे एशियाई नाटो के रूप में देखा जाता है। यह जापान, अमेरिका, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक अनौपचारिक रणनीतिक मंच है। यह अर्ध-नियमित शिखर सम्मेलन आयोजित करता है। यह 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा शुरू किया गया था। यह संयुक्त सैन्य अभ्यास द्वारा समरूप था।

▪️ महत्व :


इस समूह के सभी चार सदस्य देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को मुक्त और समावेशी बनाने का लक्ष्य रखते हैं। यह समूह प्रसार और आतंकवाद जैसी आम चुनौतियों से निपटता है। इसके सदस्य उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों पर लगाम लगाने में सहयोग करते हैं।

▪️ क्वाड की आवश्यकता :


भारत और भूटान जैसे अपने पड़ोसियों की सीमाओं के साथ चीन के आक्रामक कदमों ने क्वाड को चीनी चालों का मुकाबला करने के लिए मजबूर किया है। पूर्वी सागर और दक्षिण चीन सागर के क्षेत्र में व्यापार और नेविगेशन को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं।





✅ NHAI ने 100 प्रतिशत कैशलेस टोल कलेक्शन हासिल किया।


भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा पर 100 प्रतिशत कैशलेस टोल संग्रह सफलतापूर्वक प्राप्त किया है।

▪️ मुख्य बिंदु:


  1.  राष्ट्रीय राजमार्गों पर फी प्लाजा के सभी लेन को 16 फरवरी, 2021 से फास्टैग लेन के रूप में घोषित किया गया है।
  2.  100% प्रतिशत कैशलेस टोलिंग को हाइवे यूजर्स द्वारा सकारात्मक रूप से लिया जा रहा है।
  3.  जब से फास्टैग मानदंड को अधिसूचित किया गया है, 2,50,000 से अधिक टैग बेचे गए हैं।
  4.  एक ही दिन में, कुल 60 लाख लेनदेन किए गए, जिसके परिणामस्वरूप FASTag के माध्यम से 95 करोड़ रुपये का टोल संग्रह हुआ।
  5.  देश में अब तक फास्टैग की कुल पैठ 87 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
  6.  16 फरवरी से 7 प्रतिशत पैठ में वृद्धि हुई थी।
  7.  सरकार राजमार्ग उपयोगकर्ताओं द्वारा FASTag को अपनाने की सुविधा के लिए एक मुफ्त FASTag की भी सुविधा प्रदान कर रही है। यह मुफ्त अभियान 1 मार्च तक चलेगा।

▪️ FASTag क्या है?


FASTag इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रहण प्रणाली है, इसका संचालन राष्ट्रीय उच्चमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जा रहा है। FASTag के द्वारा टोल प्लाजा में रुके बिना ही व्यक्ति के खाते से टोल चार्ज अपने आप कट जायेगा, अब टोल कर अदा करने के लिए गाड़ी रोकने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी।

FASTag एक प्रीपेड अकाउंट से जुड़े हुए होते हैं, इसके द्वारा टोल प्लाजा से गुजरते हुए व्यक्ति के खाते से टोल अपने आप ही कट जायेगा। FASTag के लिए रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है।

▪️ FASTag की विशेषताएं :


  1.  FASTag को ग्राहक अपनी पसंद के बैंक खाते से लिंक कर सकते हैं।
  2.  इससे ग्राहकों को काफी सुविधा होगी।
  3.  FASTag एप्प की सहायता से किसी भी FASTag को रिचार्ज किया जा सकता है।
  4.  बाद में FASTag का उपयोग पेट्रोल पंप पर इंधन को खरीदने के लिए भी किया जा  सकता है।

▪️ रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी (RFID) :


रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का उपयोग करती है, यह उन टैग्स को डिटेक्ट करती है जिनमे इलेक्ट्रानिकली सूचना स्टोर की जाती है।

एक द्वि-मार्गीय रेडियो ट्रांसमीटर-रिसीवर टैग के लिए सिग्नल भेजता है तथा उसकी प्रतिक्रिया का अध्ययन करता है। RFID रीडर टैग के लिए एक एनकोडेड रेडियो सिग्नल भेजता है। टैग इस सिग्नल को रिसीव करता है तथा अपनी पहचान के साथ कुछ और सूचना को वापस भेजता है।




✅ उत्तर प्रदेश सिंगापुर को ‘काला नमक चावल’ का निर्यात करेगा।


उत्तर प्रदेश 20 टन काला नमक चावल की एक खेप को सिंगापुर में निर्यात करेगा। यह कदम राज्य से कृषि निर्यात के लिए एक प्रमुख बढ़ावा है।

▪️ मुख्य बिंदु:


  1.  20 टन की खेप सिद्धार्थ नगर से सिंगापुर भेजी जाएगी।
  2.  इस चावल को कांच के जार में पैक किया जा रहा है जिसमें चावल के गुणों का भी उल्लेख है।
  3.  चावल की पैकेजिंग में महात्मा बुद्ध के लोकप्रिय उद्धरण शामिल हैं: “चावल की अनूठी सुगंध लोगों को मेरे बारे में याद दिलाएगी”।
  4.  जल्द ही, राज्य स्ट्राबेरी फेस्टिवल की तर्ज पर काला नमक चावल उत्सव का आयोजन करेगा।
  5.  सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र, वाराणसी के सहयोग से सिद्धार्थ नगर में एक काला नमक चावल अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है।
  6.  राज्य सरकार ने चावल को सिद्धार्थ नगर का ‘एक जिला एक उत्पाद’ घोषित किया है। जबकि, केंद्र सरकार ने इसे एक बार गोरखपुर, बस्ती, महाराजगंज और संत कबीर नगर के ‘एक जिला एक उत्पाद’ के रूप में घोषित किया है। यह घोषणा चावल के उत्पादन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग में मदद करेगी।

▪️ काला नमक चावल :


  1.  इस चावल को बुद्ध चावल भी कहा जाता है।
  2.  यह भारत में उगाए जाने वाले सुगंधित चावल की बेहतरीन किस्मों में से एक है।
  3.  चावल को ‘बुद्ध का महाप्रसाद’ भी कहा जाता है।
  4.  मुख्य रूप से देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, गोंडा, महाराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर, संत कबीर नगर, बहराइच, श्रावस्ती में इसकी खेती की जाती है।

▪️ वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) :


यह एक पहल है जिसे एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में शुरू किया गया है ताकि एक जिले की वास्तविक क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जा सके। यह पहल आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रोजगार और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा दगी। इस पहल का परिचालन ‘डिस्ट्रिक्ट्स एज़ एक्सपोर्ट हब’ पहल के साथ किया गया है। यह उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।



✅ 24 फरवरी : प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के 2 साल पूरे हुए।


24 फरवरी, 2021 को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के 2 साल पूरे हो गये हैं। इस योजना को किसानों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से लांच किया गया था। इस योजना के तहत किसानों को 6,000 रुपये प्रतिवर्ष की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
इस योजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 फरवरी, 2019 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लांच किया था। इसका क्रियान्वयन केन्द्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।

▪️ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) :


• केंद्र सरकार छोटे व सीमान्त किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपये की वित्तीय सहायता देगी।
• इस योजना से सरकार खजाने से 75,000 करोड़ रुपये व्यय किया जायेंगे।
• इस योजना का उद्देश्य उन किसानों की सहायता करना है जिन्हें ख़राब मौसम अथवा कम कीमत के कारण नुकसान होता है।
• यह 6000 रुपये की राशि 2000-2000 हज़ार की तीन किश्तों में सीधे किसानों के खातों में हस्तांतरित की जायेगी।
• इस योजना का लाभ वे किसान ले सकते हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है।
• इस योजना से लगभग 12 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे।




✅ 24 फरवरी - केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस : 𝙲𝙴𝙽𝚃𝚁𝙰𝙻 𝙴𝚇𝙲𝙸𝚂𝙴 𝙳𝙰𝚈


प्रतिवर्ष 24 फरवरी को केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा देश भर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस (Central Excise Day) मनाया जाता है। इस दिवस को देश के प्रति केन्द्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड की सेवा में योगदान देने के लिए मनाया जाता है।

▪️ मुख्य बिंदु:


इस दिवस के माध्यम से केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड के अफसरों के प्रति उनकी सेवाओं के लिए सम्मान व्यक्त किया जाता है। इसके द्वारा अफसरों को इमानदारी व निष्ठा से  सेवा का निर्वहन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिवस को 24 फरवरी, 1944 को केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम को लागू करने की स्मृति में मनाया जाता है।

पहले केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) का नाम केन्द्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) था, बाद में इसे केंद्र सरकार द्वारा बदला गया।

▪️ केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) :


CBIC (Central Board of Indirect Taxes and Customs) भारत में सेवा कर, जीएसटी, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नारकोटिक्स के लिए उत्तरदायी मुख्य राष्ट्रीय एजेंसी है। यह केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग का हिस्सा है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह भारत के सबसे पुराने सरकारी विभागों में से एक है जो 1855 में तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर द्वारा भारत में सीमा शुल्क कानूनों, आयात शुल्क और भूमि राजस्व संग्रह के प्रशासन के लिए स्थापित किया गया था। मार्च 2017 में इसका नाम परिवर्तित करके सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीईसी) रख दिया गया था। यह केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर आयुक्तों, कस्टम सदनों और केंद्रीय राजस्व नियंत्रण प्रयोगशाला सहित अपने अधीनस्थ संगठनों के लिए प्रशासनिक प्राधिकरण है।

📌 आज मनाया जा रहा केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस, जानिए क्या है इसका उद्देश्य :


आज देश में 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' मनाया जा रहा है। आज ही के दिन 1944 को केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक कानून लागू किया गया था।

नई दिल्ली : हर साल 24 फरवरी के दिन 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' मनाया जाता है। इसका संचालन केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत 'केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क विभाग' की ओर से किया जाता है. इसका लक्ष्य आम लोगों में उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क की अहमियत बताना है। 24 फरवरी, 1944 को केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक कानून लागू किए जाने के उपलक्ष्य में हर साल इसे मनाया जाता है।

दरअसल, 1944 में आज ही के दिन केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक कानून बनाया गया था। देश के औद्योगिक विकास में केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। देशभर में टैक्स के भुगतान को आसान बनाने के लिए इस विभाग ने टैस्ट सिस्टम में कई सुधार किए हैं, जिसमें कई प्रकार से तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया।

▪️ बोर्ड के अधिकारियों को किया जाता है सम्मानित :


'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' के दिन केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) की ओर से दी जा रही सेवाओं, और उनसे जुड़े अधिकारियों को सम्मानित किया जाता है। अपनी पूरी ईमानदारी से कर्तव्यों को निभाने के लिए और भविष्य में उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। इस विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी हर साल विनिर्माण क्षेत्र के माल में भ्रष्टाचार की जांच करते हैं।

▪️ उद्देश्य :


'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' को मनाए जाने का मुख्य लक्ष्य आम लोगों में उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क की अहमियत को समझाना है। आज के दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन बोर्ड की ओर से किया जाता है। इन कार्यक्रमों में जागरुकता कार्यक्रम, पुरस्कार समारोह, सेमिनार, शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं शामिल हैं।


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16 फरवरी - डेली करंट अफेयर्स
15 फरवरी - डेली करंट अफेयर्स
13 फरवरी - डेली करंट अफेयर्स 
12 फरवरी - डेली करंट अफेयर्स
11 फरवरी - डेली करंट अफेयर्स
10 फरवरी - डेली करंट अफेयर्स
9 फरवरी - डेली करंट अफेयर्स
8 फरवरी- डेली करंट अफेयर्स
6 फरवरी- डेली करंट अफेयर्स
5 फरवरी- डेली करंट अफेयर्स
4 फरवरी- डेली करंट अफेयर्स
3 फरवरी- डेली करंट अफेयर्स
2 फरवरी- डेली करंट अफेयर्स
1 फरवरी- डेली करंट अफेयर्स

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