म्यांमार में लागू सैन्य शासन, क्या होगा भारत पर इसका असर ? जानें सब कुछ इस आर्टिकल में ।



हाल ही में भारत के पड़ोसी देश् म्यांमार में सरकार का तख्ता पलट हो गया और देश में 1 फरवरी 2021  से 1 साल के लिए सैन्य शासन (आपातकाल) लागू कर दिया गया है। 

म्यांमार का इतिहास

आज जिस देश को हम म्यांमार के नाम से जानते हैं उसका पुराना नाम बर्मा था और उस समय इसकी राजधानी रंगून थी , बर्मा( आज का म्यांमार) को भारत सरकार अधिनियम 1935 में उल्लिखित प्रावधान के तहत 1937 में भारत से अलग कर दिया गया, भारत में हुई  1857 की क्रांति का नेतृत्व करने वाले मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र को अंग्रेजों द्वारा 1858 में गिरफ्तार कर बर्मा की तत्कालीन राजधानी रंगून भेज दिया गया जहाँ 1962 में उनकी मृत्यु हो गयी , इनकी मृत्यु के पश्चात म्यांमार में इनका मकबरा बनवाया गया, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने म्यांमार को ब्रिटेन के कब्ज़े से मुक्त कर खुद म्यांमार पर कब्ज़ा कर लिया और म्यांमार में एक कठपुतली सरकार बना कर म्यांमार के लोगों पर अत्याचार करना शुरू किया जिसका व्यापक स्तर पर  विरोध म्यांमार की एक महिला आंग-सांग द्वारा किया गया, इस विरोध का प्रभाव यह हुआ कि जापान को मजबूरन म्यांमार छोड़कर जाना पड़ा, इसके बाद आंग सांग म्यांमार की प्रचलित नेता बनी , लेकिन जब इनकी मृत्यु हुई तो म्यांमार के संविधान में उल्लिखित प्रावधान के अनुसार देश की सरकार पर सेना के हाथों में आ गयी,  सैन्य शासन के दौरान देश में अनेक दमनकारी नीतियां लागू की गयी , इन दमनकारी नीतियों का विरोध आंग सांग सु की (आंग सांग की बेटी) के द्वारा किया गया ।

म्यांमार में चुनाव नवम्बर - 

2020 - म्यांमार की आज़ादी के लगभग 70 सालों में से 50 साल म्यांमार के लोगो ने सैन्य शासन (आपातकाल) में गुज़ारे है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते नवम्बर 2020 में म्यांमार में चुनाव करवाये गये जिसमें आंग सांग सु की  व उनकी पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी ने बहुमत हासिल किया जिसमे आंग सांग सु की पार्टी को 87% मतदान मिले थे । आंग सांग सु की को म्यांमार का स्टेट काउन्सलर( भारत में प्रधानमंत्री) के पद पर नियुक्त किया गया ।

म्यांमार में सैन्य शासन (आपातकाल) लागू:-

01 फरवरी 2021 को अचानक म्यांमार में 1 साल के लिए सैन्य शासन लागू करने की घोषणा की गयी तथा म्यांमार की स्टेट काउन्सलर आंग सांग सु की को तथा उनकी मंत्रिपरिषद के सभी नेताओं को म्यांमार की सेना गिरफ्तार/ नज़रबंद कर दिया । तथा देश में संचार व इंटरनेट जैसी सुविधाओं पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया है ।

       म्यांमार के सैन्य प्रशासन ने इस प्रकार अचानक आपातकाल लगाने का कारण नवम्बर 2020 में हुए चुनाव को बताया है , म्यांमार की सेना का मानना है कि 2020 में हुए चुनाव में बहुत अधिक संख्या में फर्जी वोट डाले गए हैं , 1 ही व्यक्ति द्वारा 3 - 4 बार वोट डाला गया है। जबकि अब तक इसके कोई साक्ष्य सामने नही आये है ।

     विश्वभर में म्यांमार में लगे सैन्य शासन का व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है , अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा इस मामले को UN में ले जाया गया लेकिन चीन और रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल करके इस मामले को UN में खारिज़ कर दिया रूस और चीन का कहना है कि म्यांमार में लागू सैन्य शासन म्यांमार का आंतरिक मामला है और UN में इस तरह के मामले नही उठाये जाने चाहिए ,जबकि अमेरिका के साथ साथ दुनियाँ में अन्य देशों में भी इसका विरोध किया , G-7 देशों और EU( यूरोपियन यूनियन) ने भी खुलकर इसका  विरोध किया । लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने म्यांमार में लागू सैन्य शासन का खुलकर विरोध करने के बजाय तठस्थ बयान दिया है , भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि प्रत्येक देश को संविधान के दायरे में काम करने की जरुरत है ,आगे उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा म्यांमार की हर स्थिति पर नजर रखी जा रही है ।


कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस मामले में म्यांमार का सहयोग करेगा ,उनका मानना है कि चीन अपनी विदेश नीति को समय - समय पर बदलता रहता है , और इसी दोगली नीति का प्रयोग चीन, म्यांमार  के मामले में भी करेगा इसका मुख्य उद्देश्य म्यांमार में इन्वेस्टमेंट करके म्यांमार के सितवे पोर्ट तक अपनी पहुंच बनाना है , जिससे चीन , भारत के बंदरगाहों और बंगाल की खाड़ी में भारत की आर्मी, एयरफोर्स, व नोसेना के ट्राईजंक्शन पर नज़र रख सके ।


म्यांमार में लागू सैन्य शासन का भारत पर प्रभाव3: -

भारत ने म्यांमार में काफी सारे  इन्वेस्टमेंट कर रखे हैं , जिनमें कालादान मल्टी मॉडल परियोजना प्रमुख है इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत, म्यांमार के सितवे बंदरगाह से म्यांमार , थाईलैंड, व सिंगापुर तक अपनी सड़क विकसित करने पर काम कर रहा है ,और यदि म्यांमार में किसी भी प्रकार की अशांति होती है तो भारत की इस परियोजना को पूरा करने में मुश्किलें आ सकती है ।
म्यांमार में सैन्य शासन का लगना भारत के लिए समस्या का विषय है जिसका भारत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है , इसी वजह से भारत अन्य देशों की तरह म्यांमार में लागू सैन्य शासन का खुलकर विरोध करने से बच रहा है , अगर भारत इसका खुलकर विरोध करता है तो हो सकता है म्यांमार, चीन के फेवर में चला जाये, जैसा की चीन चाहता है, यही वजह है कि भारत ने बीच का रिश्ता अपनाकर तटस्थ रहने का फैसला किया है जो परिस्थतियों के हिसाब से भारत के हित में है ।

म्यांमार से बनने वाले प्रश्न 10 अतिमहत्वपूर्ण प्रश्न जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी हैं :-

 
1) रोहिंग्या जनजाती किस देश की है - म्यांमार( 2017 में म्यांमार की सेना द्वारा रोहिग्यों पर बहुत अत्याचार किये गए जिस वजह से इस जनजाति के लोग पलायन करके बांग्लादेश व भारत में बसने लगे, बांग्लादेश में रोहिंग्यों के लिए बस्चर आइलैंड विकसित किया जा रहा है) ।

2) भारत और म्यांमार की सीमा पर कौन सा पर्वत स्थित है ?- अराकान योमा ( भारत का केंद्रशासित प्रदेश अण्डमान & निकोबार इसी पर्वत का उठा हुआ भाग है )

3) म्यांमार की राजधानी - Naypyidaw ( पहले - रंगून) , मुद्रा - क्यात(kyat)

4) म्यांमार में  किस धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं? - बोद्ध धर्म ( बोद्ध धर्म के मंदिरों पैगोड़ा कहा जाता है, म्यांमार में इन मंदिरों की बहुतायत है तथा इन मंदिरों की विशेषता है इसके हर फ्लोर पर छत और इनका गोल्डन कलर , भारत में एकमात्र पैगोड़ा मंदिर ओड़िसा में स्थित कोणार्क सूर्यमंदिर है लेकिन ये गोल्डन कलर में नहीं बल्कि काले रंग का है जिस कारण इस मंदिर को ब्लैक पैगोड़ा भी कहा जाता है ।

5) इरावदी डॉलफिन किस नदी में पाई जाती है - इरावदी नदी में ( इरावदी म्यांमार की राष्ट्रीय नदी है)

6) किस मुग़ल शासक का मकबरा म्यांमार में स्थित है? -बहादुर शाह जफ़र ( लाहौर में जहांगीर का मकबरा )

7) आंग सांग सू की को नोबेल पुरस्कार कब दिया गया?- 1991 

8) म्यांमार भारत से कब अलग हुआ ? - 1937 ( भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत) 

9) shan plateau स्थित है- म्यांमार

10) म्यांमार का प्रमुख बंदरगाह - सितवे बंदरगाह


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