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मेरा बचपन

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 काश वो बेला फिर लौट आये । यत्न ऐसा कोई है तो करूँ मैं वो बचपन मेरा फिर लौट आये वो शीतल बयार चिड़ियों का चहकना कभी रूठे तो अम्मा का प्यार से मनाना कभी वर्षा की बूंदों को मुँह से लगा फिर ऊपर उछालना कभी गिरकर, उठ चले तुतलाकर बतियाना  काश वो बेला फिर लौट आये ।। कभी खेत खलियानों की मिट्टी से खूब नहाना वो गुब्बारों में हवा भरकर फिर से छूट जाना  फिर खुश होकर नन्हें हाथों से ताली बजाना कभी रूठकर, धरा से लिपटकर सो जाना काश वो बेला फिर लौट आये ।।। कभी मिट्टी से खेले घरोंदे बनाना कभी रूठे तो पिता का प्यार से मनाना  कभी गुस्से से आनन् ललाट लाल हो जाना कभी फेंके खिलौने फिर ज़ोर से चिल्लाना फिर भी पिता का सहलाकर मनाना काश वो बेला फिर लौट आये ।।।। कभी नए कपडे, खिलोनो से खुश हो जाना तो कभी माँ की गोद मैं बैठकर पाँव चलाना  और माँ का वो मेरे जैसे तुतलाकर बतियाना मेरे शीश को माँ का सहलाना, और वो रूठने पर मनाना काश वो बेला फिर लौट आये ।।।।। बालपन दूर गया, मेरा युवा हो जाना  ख्वाबों में बचपन यादकर, मन्द मन्द मुस्काना  प्रौढ़ अवस्था में आकर अकेले, ख्वाबों में मेरा कहीं खो जाना काश वो बेला फिर लौट आये ।।।।।।